“मैं हिंदुस्तान हूँ, हिमालय मेरी सरहदों का निगेहबान है, गंगा मेरी पवित्रता की सौगंध, तारिख की फ़िदा से मैं अंधेरों और उजालों का साथी हूँ, और मेरी हाथों में संगमरमर की चादरों में लिपटी ये इमारतें दुनिया से कह रही हैं की ज़ालिमों ने मुझे लूटा और मेहरबानो ने मुझे सवारा, नादानों ने मुझे ज़ंजीरें पहना दी और मेरे चाहने वालों ने उन्हें कांट फेंका“
These are the opening lines of K. Asif’s Mughal- e- Azam. An epic that surely no one would overlook. Madhubala, Dilip Kumar and Prithviraj Kapoor are the whole and soul of the movie. While the plot looks straightforward, it contains a number of interesting details that makes the entire experience of watching this film memorable. Let’s plunge into this Dastaan-e-Mughal-e-Aza